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आज मैं आपको एक ऐसे सिद्ध और चामत्कारिक स्थान के बारे में बता रहा हूँ जिसके बारे में अपने कभी नहीं सुना होगा । ये स्थान जयपुर जिले में विराटनगर नामक ऐतिहासिक स्थान के समीप पापड़ा ग्राम में है । ये वही विराटनगर है जहा पांडव एक वर्ष तक अज्ञातवास में रहे थे । यहाँ पापड़ा ग्राम में हनुमानजी का एक सिद्ध मंदिर है जो जमीन से थोड़ा उचाई पर पहाड़ पर है । यह मंदिर ३०० वर्ष पुराना है । यहाँ स्थित हनुमान जी साक्षात बात करते है । इसकी पूजा अर्चना यहाँ रहने वाले वशिष्ठ परिवार के द्वारा की जाती है ।
लगभग 300 वर्ष पूर्व जब आने जाने के साधन बहुत कम हुआ करते थे उस समय इसी वशिष्ठ परिवार के पूर्वज प्रेमदास जी और शीतलदास जी महाराज तीर्थाटन के लिए गुजरात की तरफ गए हुए थे । वापसी में रात्रि में विश्राम हेतु एक निर्जन स्थान पर रुकना हुआ । मध्य रात्रि के समय उन्हें सोते हुए हनुमान जी ने दर्शन दिए और कहा मुझे यहाँ से ले चलो । ऐसा सुनकर उनकी आँख खुल गई । जब उठे तो आकाशवाणी सुनाई दी और हनुमान जी ने कहा मैं यहाँ कब से तुम्हारा इन्तजार कर रहा हूँ , तुम मुझे ले चलो और अपने गांव में स्थापित करो । जब उनहोने पुछा महाराज आप कहा हो, तो उन्होंने कुछ स्थान बताया और वहां खोदने को कहा ।
जब दोनों ने वहां खोदना शुरू किया तो हनुमान जी की एक मूर्ति मिली लेकिन उसमे वजन बहुत था इसलिए सेकड़ो किलोमीटर दूर पैदल ले जाना संभव नहीं था । इस पर हनुमान जी ने कहा की इस मूर्ति को अपनी पीठ से बांध लो , आपको कोई वजन महसूस नहीं होगा, लेकिन साथ ही यह भी कहा की जहा मुझे कही रख दोगे मैं वही स्थापित हो जाऊंगा और तुम मुझे उठा नहीं सकोगे , इसलिए मंजिल तक पहुचने से पहले कही मत रखना ।
दूसरी समस्या उन्होंने कही की आपकी पूजा तो बहुत नियम से की जाती है , हम क्या पता वो सब नियम पूरे कर सके या नहीं । अगर नहीं कर पाये तो हमें दोष लगेगा और आपके कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है । इस पर हनुमान जी ने कहा की मेरी पूजा करने में तुम्हे कोई कठिनाई महसूस नहीं होगी । यदि तुम्हारे कुल में उत्पन्न कोई बच्चा भी मुझ पर पानी डाल कर स्नान करा देगा तो मैं उस से ही संतुष्ट हो जाऊंगा ।
Siddh Hanuman Mandir हनुमान जी के कहे अनुसार दोनों उसे बड़े ही आराम से पापड़ा ग्राम तक ले आये । यहाँ आकर उन्हें लघुशंका करने की जरुरत हुई और वे भूल गए की इसे जमीन पर नहीं रखना है । उस समय वे एक छोटी पहाड़ी से दूसरी तरफ स्थित कुहाड़ा ग्राम की तरफ जा रहे थे , लेकिन भूल से मूर्ति को यहाँ रख दिया । लघुशंका से निवृत हो जब मूर्ति को उठाने लगे तो वह से हिली भी नहीं । अब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और वे पश्चाताप करने लगे । तभी आकाशवाणी हुई की आप पश्चाताप नहीं करें , मुझे यही स्थापित होना था । इसके बाद उन्होंने उसे वही स्थापित कर दिया और थोड़ा पक्का स्थान बना दिया ।वे स्वयं पहाड़ी के दूसरी तरफ स्थित कुहाड़ा ग्राम में रहते और नित्य सुबह शाम यहाँ पूजा अर्चना करने आते ।बाद में उनके ही वंश में एक महान आत्मा ने जन्म लिया जिका नाम था लादूराम जी वशिष्ठ था । इन्होने अपने पूर्वजो के नाम को बहुत बढ़ाया और गृहस्थ में रहते हुए भी एक संत के समान ही रहे । इन्होने अपना घर बार कुहाड़ा से यहाँ पापड़ा में ही बना लिया ।
इन हनुमान जी के यु तो बहुत से चमत्कार है लेकिन उनमे से कुछ हम यहाँ बता रहे है :-
इस मंदिर के पुजारी बड़े ही सीधे और सरल स्वभाव के थे । एक बार रात के समय जब सब सो रहे थे तो उनके यहाँ चोर आये और उनकी गाये चुराकर ले जाने लगे । वे थोड़ी ही दूर गए थे की उन्हें दिखना बंद हो गया और वे भटकने लगे । उधर पुजारी जी के सपने में हनुमान जी आये और कहने लगे पुजारी जी तुम यहाँ सो रहे हो और तुम्हारी गाये चोर लेकर जा रहे है , जल्दी जाओ अभी मैंने उन्हें बड़ के पेड़ के पास ही रोक रहा है ।
ये सुनकर पुजारी जी चौक कर उठ गए और पीछे गोशाला में जाकर देखा तो वास्तव में गाये नहीं थी । उन्होंने सब लोगो को उठाया और सपने में हनुमान जी द्वारा बताये गए स्थान पर जाकर देखा । वहाँ दो चोर अंधे होकर इधर उधर गिर पड़ रहे थे और लोगो को देखकर सारी गलती स्वीकार कर ली । वे पुजारी जी के पैरो में पड़ गए । पुजारी जी को भी चोरो के ये दशा देखकर दया आ गई । वे चोरो को लेकर मंदिर में गए और हनुमान जी से उन्हें क्षमा करने की प्रार्थना की । कुछ देर में ही हनुमान जी की कृपा से उनकी नेत्र ज्योति वापस आ गई और उन्होंने भविष्य में कभी चोरी नहीं करने की कसम खा ली ।
यह स्थान भीड़ भाड़ से बहुत दूर है इसलिए यदि आप वास्तविक सुकून और शांति को महसूस करना चाहते है तो आपको इस स्थान का दर्शन जरूर करना चाहिए । इस स्थान का प्रचार प्रसार बहुत अधिक नहीं है । यह स्थान जयपुर दिल्ली रोड से अलवर की तरफ जाने वाले रस्ते पर NH 8 से लगभग 30 किलोमीटर पड़ता है । पहले आपको विराटनगर पहुचना पड़ेगा । फिर यहाँ से अपने वाहन से या कोई टेक्सी करके 4-5 किलोमीटर दूर पापड़ा ( कुहाड़ा के पास ) जाना होता है । यह पहुंचकर कोई भी आपको मंदिर का रास्ता बता देगा । फिर भी यदि कोई कठिनाई हो या आप ज्यादा जानना चाहते हो तो मंदिर के पुजारी जी से निम्न नम्बरो पर संपर्क कर सकते है ।
श्री महावीर प्रसाद वशिष्ठ 09828322800
श्री सुरेन्द्र कुमार जी 09214975052
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