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1. राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¸à¤‚ग का पहला अनà¥à¤à¤µ
पीयूष वषिषà¥ï¿½ï¿½ वैसे तो बहà¥à¤¤ कम धरà¥à¤®à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤·à¤•à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ करने वाले वकà¥à¤¤à¤¾à¤“ं से मैं पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होता हूं लेकिन आज जिस दिवà¥à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿ के दरà¥à¤·à¤¨ मैने किये उसके अनà¥à¤à¤µ को आप सà¤à¥€ से बांटने की बहà¥à¤¤ इचà¥à¤›à¤¾ हो रही है। आज पहली बार ‘राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€‘ सतà¥à¤¸à¤‚ग में जाने का अनà¥à¤à¤µ मिला । जाने से पहले मन में बहà¥à¤¤ सारी शंकाà¤à¤‚ थी। मà¥à¤à¥‡ लगता था कि जो मैं फोलो करता हूं शायद कोई अनà¥à¤¯ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ उसे नहीं जानता। लेकिन फिर à¤à¥€ राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¸à¤‚ग और इसके सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को लेकर मन में à¤à¤• जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ बहà¥à¤¤ पहले से थी। फिर अचानक यूं ही अà¤à¥€ 4-5 दिन पहले हमारे à¤à¤• पारिवारिक डाकà¥à¤Ÿà¤° साहब ने पूछा, आप चलेंगे कà¥à¤¯à¤¾ सतà¥à¤¸à¤‚ग में, और ना जाने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मैनें हां कर दिया। जाने से पहले बस ये था कि चलो देखते हैं वहां कà¥à¤¯à¤¾ होता है, कà¥à¤¯à¤¾ बताया जाता है, लेकिन जब वहां जाकर देखा और पूरे डेढ घंटे तक राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤ªà¥€ï¿½ï¿½ के महाराज जी को सà¥à¤¨à¤¾ तो मन गदगद हो गया। ये मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ हैं लेकिन उनका नाम अà¤à¥€ à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ याद नहीं । सतà¥à¤¸à¤‚ग में जो यथारà¥à¤¥ अनà¥à¤à¤µ महाराज जी ने साà¤à¤¾ किये उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤•à¤° बहà¥à¤¤ ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ लगा। जो चीजें मैं अनà¥à¤à¤µ करता हूं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में ढाल दिया। जो à¤à¤• पà¥à¤°à¤·à¥à¤¨ हमेषा से चलता आ रहा था, उसका à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤° मिल गया। हालांकि मेरे पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥‚देव अवधूत परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ से और परमहंस अवसà¥à¤¥à¤¾ के उचà¥à¤š कोटि के अखणà¥à¤¡ बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ संत हैं और उनके सिवा कोई मà¥à¤à¥‡ कà¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं कर सका, लेकिन राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ का आज का सतà¥à¤¸à¤‚ग मेरे लिठअà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ था। लग रहा था जैसे à¤à¤• के बाद à¤à¤• रहसà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ होता ही जा रहा है। रही सही कसर वहां से खरीदी à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘मेरे सतगà¥à¤°à¥‚‘ और संत संवाद ने पूरी कर दी। धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कैसे लगाया जाता है ? ईषà¥à¤µà¤° से हमारा कà¥à¤¯à¤¾ नाता हैं ? वे कहा रहते हैं? तीसरी आंख या दूसरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के गà¥à¤ªà¥à¤¤ दरवाजे का à¤à¥‡à¤¦à¤¨ कैसे किया जाता है ? इस जगत के परे कितने बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ हैं ? किन रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से होकर आतà¥à¤®à¤¾ परमातà¥à¤®à¤¾ तक पहà¥à¤šà¤¤à¥€ है ? मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ कैसे मिलती है ? बहà¥à¤¤ से सनà¥à¤¤ महातà¥à¤®à¤¾ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने का उपदेष देते हैं ? लेकिन फिर षिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ कैसे नहीं मिलती ? à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ है जो पढे लिखे और वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से परिपूरà¥à¤£ विदेषी लोग à¤à¥€ इस राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¸à¤‚ग में खिंचे चले आते हैं ? à¤à¤¸à¥‡ अनेकानेक सवालों का जवाब मà¥à¤à¥‡ आज के इस दिन ने दिया है। शायद जो मेरे अनà¥à¤à¤µ है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दूसरे के मà¥à¤– से सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के कारण मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ लगा हो, लेकिन जो à¤à¥€ हो मà¥à¤à¥‡ बेहद खà¥à¤·à¥€ है कि आज à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ देष में à¤à¤¸à¥‡ सदगà¥à¤°à¥‚ हैं जो लोगों को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और योग के बेहद क�� िन विषय को इतनी सरलता से हृदयंगम करा रहे हैं।
राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¸à¤‚ग मे पहली बार में ही जिन महाराज जी के दरà¥à¤·à¤¨ मà¥à¤à¥‡ हà¥à¤, वे बेहद सरल शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में गूढ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को बताते जा रहे थे। मैनें और à¤à¥€ बहà¥à¤¤ से गà¥à¤°à¥‚ओं के सतà¥à¤¸à¤‚ग सà¥à¤¨à¥‡ हैं , लेकिन अधिकांष जगह या तो पढी पढाई बोà¤à¤¿à¤² ,असà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ बातें होती हैं या फिर थोडा सा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ तरसा तरसा के दिया जाता है। बेहद सरल शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में महाराज जी ने तीसरे नेतà¥à¤°, अनहत नाद, और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होने वाली दिवà¥à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ के बारे में बताया। चाहे जो à¤à¥€ धरà¥à¤® हो सà¤à¥€ इस अनहत शबद और जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ को जरूर मानते हैं, हिनà¥à¤¦à¥ दीपक जलाते है और शबद के लिठमंदिर में घंटी बजाते हैं, ईसाई मोमबतà¥à¤¤à¥€ जलाते हैं और बाद में चरà¥à¤š का घंटा बजाते हैं, इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लोग à¤à¥€ मजार पर दीपक जलाते हैं और सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ अजान के रूप में शबद सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। वासà¥à¤¤à¤µ में ये सब तो पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं। असली शबद तो दिनरात हमारे अनà¥à¤¦à¤° अनहत नाद के रूप में बजता रहता है। à¤à¤• बार सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देने पर निरनà¥à¤¤à¤° हमारा मारà¥à¤—दरà¥à¤·à¤¨ करता रहता है, और दिवà¥à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ का दरà¥à¤·à¤¨ आजà¥à¤žà¤¾ चकà¥à¤° या तीसरी आंख में होता रहता है। ये तीसरी आंख ही बाकी सब बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡à¥‹à¤‚ या लोकों का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤· दà¥à¤µà¤¾à¤° है। जो लोग राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ से जà¥à¤¡à¥‡ हैं वे शायद समठपा रहे होंगे कि मैं कà¥à¤¯à¤¾ कहना चाह रहा हूं , या फिर जो à¤à¥€ साधक सचà¥à¤šà¥‡ गà¥à¤°à¥‚ के षिषà¥à¤¯ हैं या धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अथवा कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¥€ जागरण का थोडा à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखते होंगे, वे à¤à¥€ बहà¥à¤¤ आसानी से मेरे इस आज के अनà¥à¤à¤µ को पकड पा रहे होंगे। मैनें सोचा था कि सतà¥à¤¸à¤‚ग पूरा होते ही सीधा घर आ जाउंगा लेकिन ये उनका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ था जो सतà¥à¤¸à¤‚ग पूरा होने के बाद à¤à¥€ अपनी जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¤¿à¤ªà¤¾à¤¸à¤¾ को षानà¥à¤¤ करने के लिठ2 घंटे तक वहां बà¥à¤• सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² पर खडा रहा और बहà¥à¤¤ सी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ वहां से लेकर आया। मà¥à¤à¥‡ लगता है कि आप जिस à¤à¥€ धरà¥à¤®, सदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ या मजहब के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ हैं लेकिन आपको à¤à¤• बार राधासà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¸à¤‚ग जरूर सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤› है à¤à¤¸à¤¾ वहां, जो दूसरी किसी जगह नहीं है। अगर आप अनà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ नहीं है और तरà¥à¤• की कसौटी पर हर तथà¥à¤¯ को कसकर ही अपनाते हैं तो आपके अतृपà¥à¤¤ हृदय को यहां आकर जरूर असीम शानà¥à¤¤à¤¿ और तृपà¥à¤¤à¤¿ का अनà¥à¤à¤µ होगा।
पीयूष वषिषà¥ï¿½ï¿½
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