- Astrologer Peeyush Vashisth
दà¥à¤•à¤¾à¤¨ और वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° के लिठवासà¥à¤¤à¥ टिपà¥à¤¸
गीता à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ गीत है जो à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 5200 साल पहले अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ शिषà¥à¤¯ अरà¥à¤œà¥à¤¨ से पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हà¥à¤ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¸à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤° को अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ कर रहा है। गीता à¤à¤• दिवà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤• और à¤à¤• समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ शिषà¥à¤¯ के बीच कावà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• संवाद है।
इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड में केवल à¤à¤• ही गीता है गीता अलग कहां हैं? पाà¤à¤š हज़ार सालों से पहले सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ नफरत के हिंसक नरक में सà¥à¤°à¥à¤– रही थी। कौरव और पांडवों की बड़ी सेना यà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठà¤à¤• दूसरे का सामना करना पड़ रही थी। उनके बीच à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने गीता को उपदेश दिया, लेकिन वहां केवल दो शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं थे à¤à¤• अरà¥à¤œà¥à¤¨ था, जबकि अनà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ संजय थे जो दूर से सà¥à¤¨ रहे थे। वे दोनों दिवà¥à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ और समठके साथ आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ थे - पूरà¥à¤µ à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आशीषित किया गया था जबकि वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ने à¤à¥‡à¤‚ट की थी। केवल दो शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं हैं, जबकि कान और दूसरों की आंखें खà¥à¤²à¥€ थीं, लेकिन कोई à¤à¥€ सà¥à¤¨ नहीं सकता था या कà¥à¤› à¤à¥€ देख सकता था। उन लाखों आà¤à¤–ों और कानों में यह समà¤à¤¨à¥‡ या समà¤à¤¨à¥‡ की शकà¥à¤¤à¤¿ या कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ नहीं थी।
गीता का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ की आंतरिक à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ थीं? सà¤à¥€ आंतरिक à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ नहीं किया जा सकता है
कà¥à¤› लोगों को बताया जा सकता है, कà¥à¤› शरीर की à¤à¤¾à¤·à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किठजाते हैं, और शेष को साधक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के माधà¥à¤¯à¤® से अनà¥à¤à¤µ और अनà¥à¤à¤µ किया जाता है। केवल शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ राजà¥à¤¯ में पहà¥à¤‚चने के बाद, à¤à¤• सिदà¥à¤§ शिकà¥à¤·à¤• समठमें आता है कि गीता कà¥à¤¯à¤¾ कहती है। वह गीता के छंदों को दोहराते नहीं हैं बलà¥à¤•à¤¿ वासà¥à¤¤à¤µ में गीता के à¤à¥€à¤¤à¤° के अरà¥à¤¥ को अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ देते हैं। उसी तसà¥à¤µà¥€à¤° को देखने के लिठसंà¤à¤µ है, जहां शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने गीता का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया था। वह इसलिà¤, वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• अरà¥à¤¥ को देखता है, यह हमें दिखा सकता है, आंतरिक à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं और शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को पैदा कर सकता है जो हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के रासà¥à¤¤à¥‡ पर ले जाà¤à¤—ा।
रेव। शà¥à¤°à¥€ परमहंसजी महाराज 'à¤à¥€ इस तरह के उचà¥à¤šà¤¤à¤® आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• राजà¥à¤¯ के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ शिकà¥à¤·à¤• थे और गीता के à¤à¥€à¤¤à¤° की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को समà¤à¤¨à¥‡ के लिठउनके शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ और आशीषों का अरà¥à¤¥' यथरà¥à¤¥ गीता 'है।
इस गीता में अनà¥à¤¸à¤‚धान के गतिशील धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का पूरा वरà¥à¤£à¤¨ है जो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को रहसà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ और पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने देता है, जो कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पूरà¥à¤£ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ है और पूरे विशà¥à¤µ के पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ का मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ है। आगे यह निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· निकाला है कि सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® होने वाला à¤à¤• है, पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤• है, अनà¥à¤—à¥à¤°à¤¹ à¤à¤• है और परिणाम à¤à¥€ है, वह à¤à¤• है और यह सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का दरà¥à¤¶à¤¨ है, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ और सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š आनंद का अननà¥à¤¤ जीवन और अननà¥à¤¤ अनà¥à¤—à¥à¤°à¤¹ - "सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द"
यथरà¥à¤¥ गीता का लेखक संत है जो सांसारिक शिकà¥à¤·à¤¾ से रहित नहीं है, फिर à¤à¥€ पूरा गà¥à¤°à¥ के अनà¥à¤—à¥à¤°à¤¹ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सदाबहार किया जाता है, जो पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤¤ और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के लंबे अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ के बाद संà¤à¤µ हà¥à¤†à¥¤ वह सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® बीटैट के पथ पर à¤à¤• बाधा के रूप में लिखते हैं, फिर à¤à¥€ उनकी निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ उनके गà¥à¤°à¤‚थ के लिठकारण बन गà¤à¥¤ सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने उनसे यह खà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¾ किया था कि 'यथरà¥à¤¥ गीता' के à¤à¤• छोटे से à¤à¤• लिखने को छोड़कर उसके सà¤à¥€ मानसिक मनोवृतà¥à¤¤à¤¿ को हटा दिया गया है। पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¥€ इस रवैया को कटौती करने के लिठअपनी पूरी कोशिश की, लेकिन उचà¥à¤š निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ जारी किया। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° गà¥à¤°à¤‚थ, "यथरà¥à¤¥ गीता" संà¤à¤µ हो गया। जैसे कि यथातथ गीता शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤—वद गीता के माधà¥à¤¯à¤® से दैवीय सà¥à¤¸à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤° की सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की à¤à¤• अवतारित पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ है। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ को समठनहीं पाई जा सकती।
लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ जागरूक होगा? "योगेशà¥à¤µà¤° कृषà¥à¤£ कहते हैं-" नहीं "। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ने कहा, "अरà¥à¤œà¥à¤¨! आपको शà¥à¤¦à¥à¤§ विवेक के साथ à¤à¤• पवितà¥à¤° आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• संत से संपरà¥à¤• करना चाहिठऔर इस दिवà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की तलाश करना चाहिà¤à¥¤ उन सीखा संत जो आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ का सही सार समà¤à¤¤à¥‡ हैं, इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को आपके पास पास करेंगे।
Swami Adgadanand Yatharth Geeta
à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने कहा, "अरà¥à¤œà¥à¤¨, इस दिवà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को जानने के बाद, आप कà¤à¥€ à¤à¥€ इस तरह से लगाव के शिकार नहीं होंगे, और इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ होंगे आप अपने à¤à¥€à¤¤à¤° और फिर मेरे à¤à¥€à¤¤à¤° सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ देखेंगे। यहां तक ​​कि अगर आप सबसे घृणित पापी हैं, तो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का सनà¥à¤¦à¥‚क आपको नदी के पार सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रूप से ले जाà¤à¤—ा यदि सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚। निसà¥à¤¸à¤‚देह इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कà¥à¤› à¤à¥€ अधिक शà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं है और आपका हृदय सà¥à¤µà¤¯à¤‚ का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होगा जब आप कारà¥à¤¯ के रासà¥à¤¤à¥‡ पर पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगे। सचà¥à¤šà¥‡ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का à¤à¤•à¥à¤¤ जिसने अपनी इंदà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कम किया है, वह इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है और उसी कà¥à¤·à¤£ (पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के) पर उसे सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š शांति की आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ के साथ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¥ƒà¤¤ किया जाता है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस तरह के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ परमातà¥à¤®à¤¾ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ की ओर जाता है। यह जानने के बाद कि आपको अपने जीवन में कोई संदेह नहीं होगा आपको इस तरह के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लाठको शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में या बीच में नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ केवल अंतिम परिपकà¥à¤µ राजà¥à¤¯ में ही महसूस होगा। आपकी आतà¥à¤®à¤¾ योग के परिपकà¥à¤µ चरणों में अपने सचà¥à¤šà¥‡ सार को महसूस करेगी।
गीता में पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° देते हà¥à¤, अरà¥à¤œà¥à¤¨ को सलाह दी जाती है कि वे इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾, पूछताछ और à¤à¤¦à¥à¤¦à¤¾ आगà¥à¤°à¤¹ के माधà¥à¤¯à¤® से साधà¥à¤“ं से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करें, केवल उन बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं के लिठजो सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ से अवगत हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसमें शामिल कर सकते हैं। à¤à¤• निपà¥à¤£ ऋषि के करीबी निकटता, उसे ईमानदारी से पूछे जाने, और उनके लिठविनमà¥à¤° सेवा का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¥€à¤•à¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधनों का गठन करता है।
जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हासिल करने का तरीका, सारà¥à¤¥à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨, और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पूजा करने के लिठतीनों पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾, करà¥à¤¤à¤¾, à¤à¤œà¥‡à¤‚ट, और कृतà¥à¤¯ ही "पूजा" के तीन गà¥à¤¨à¤¾ घटक हैं
गीता के दस हजार से अधिक टिपà¥à¤ªà¤£à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हैं और ये सà¤à¥€ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के योगà¥à¤¯ हैं। वे सà¤à¥€ à¤à¤• को आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पथ पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ करते हैं, लेकिन यथथा गीता कà¥à¤› मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर अलग है: -
Why Yatharth Geeta Is Precious.
1. आज तक जो à¤à¥€ गीता के बारे में सà¥à¤¨à¤¾ है, वह महसूस कर चà¥à¤•à¤¾ है कि, यह गà¥à¤°à¤‚थ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के महान à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• यà¥à¤¦à¥à¤§ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¤¾ है। हालांकि यà¥à¤¦à¥à¤§ लड़ने के बावजूद, यथथा गीता कहती है कि, गीता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• यà¥à¤¦à¥à¤§ जीवित पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच यà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं है, लेकिन पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š होने के बीच के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को नषà¥à¤Ÿ कर देता है और अंतिम परिणाम सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤® विजय पर होता है। यह अपने à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¤• यà¥à¤¦à¥à¤§ है
2. इसके पाठकों का कहना है कि, यह इनाम की किसी à¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾ के बिना किसी के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ को उपदेश देता है। जो कà¥à¤› à¤à¥€ करता है, उसे इनाम की किसी à¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾ के बिना किया जाना चाहिà¤à¥¤ लेकिन, यथथा गीता ने सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ किया, à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ का करà¥à¤® जो इंगित करता है कि सचà¥à¤šà¤¾ अरà¥à¤¥ में करà¥à¤® 'आराधना' - दिवà¥à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ की गति। योग का अनà¥à¤·à¥à¤ ान यजà¥à¤ž है और इसे अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ में लगाने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करà¥à¤® है। यह à¤à¤• नई परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ है
3. लोग जब शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं - यजà¥à¤ž, वे à¤à¤• चिड़िया की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ को आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करते हैं जहां पवितà¥à¤° आग में तिल के बीज, मकà¥à¤–न आदि सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ किया जाता है। लेकिन यथथा गीता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड - चेतन और निरà¥à¤œà¥€à¤µ - पवितà¥à¤° अगà¥à¤¨à¤¿ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की सामगà¥à¤°à¥€ हैं। हमारे मन का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड है वह पवितà¥à¤° अनà¥à¤·à¥à¤ ान का नतीजा तब पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है जब मन के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ समापà¥à¤¤ हो जाता है और कà¥à¤¯à¤¾ रहता है सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š की धारणा है - "सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, उसकी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾, à¤à¥€à¤¤à¤° और दिवà¥à¤¯ अवसà¥à¤¥à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶! दिवà¥à¤¯ आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ !!
4. गीता को पढ़ने के बाद à¤à¤• संत ने मानव समाज को विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ उचà¥à¤š और निमà¥à¤¨ वरà¥à¤—ों में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ किया - चार ककà¥à¤·à¤¾à¤“ं को à¤à¤—वान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ चार वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ कहा जाता है लेकिन यथथा गीता मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के विà¤à¤¾à¤œà¤¨ में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं करती। à¤à¤¸à¥€ संà¤à¤¾à¤— की ओर जाता है जो करà¥à¤® करà¥à¤® है - धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का अनà¥à¤·à¥à¤ ान
5. यथथा गीता ने इस तथà¥à¤¯ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया है कि à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करà¥à¤® à¤à¤• विशिषà¥à¤Ÿ करà¥à¤® है। इसके लिठà¤à¤• उचित अनà¥à¤·à¥à¤ ान होना चाहिà¤à¥¤ आम तौर पर लोग कà¥à¤› या दूसरे करना जारी रखते हैं; वह करà¥à¤® नहीं है? योगेशà¥à¤µà¤° कृषà¥à¤£ ने अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तीन में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ किया है कि, इस यजà¥à¤ž के अलावा जो कारà¥à¤¯ किया जाता है वह 'करà¥à¤®' है जो à¤à¤• बंधन पैदा करता है। गीता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करà¥à¤®à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ है जो आपको यह पता चला कि आप विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ बंधनों से मà¥à¤•à¥à¤¤ होंगे।
6. यथथा गीता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ यजà¥à¤ž का अरà¥à¤¥ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• है। आज तक à¤à¤• à¤à¥€ गà¥à¤°à¤‚थ ने यह नहीं बताया है कि साà¤à¤¸ लेना और शà¥à¤µà¤¾à¤¸ बाहर करना यजà¥à¤ž है। साà¤à¤¸ को छूना à¤à¤• यजà¥à¤ž है और सांस का आयोजन यजà¥à¤ž है। à¤à¤• दिवà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखने, दिवà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤• की दासता और à¤à¤¸à¥‡ चौदह चरणों को यजà¥à¤ž के पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ के लिठवरà¥à¤£à¤¿à¤¤ किया गया है।
कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤•à¤²à¤¾à¤ª, योगेशà¥à¤µà¤° कृषà¥à¤£ शायद संकेत तकनीकों पर इशारा कर रहे थे। गीता का सटीक करà¥à¤® इस तकनीक के चरणों का पालन करना है और करà¥à¤®à¤¾ का परिणाम सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ के à¤à¥€à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ और पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ है!
7. यह समाज में à¤à¥‚ठा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि केवल ऊंची जाति के लोग यजà¥à¤ž कर सकते हैं। यह निराश रूप से माना जाता है कि कम समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ और विदेशियों के लोगों को यजà¥à¤ž करने का कोई अधिकार नहीं है, मंतà¥à¤° 'औ' या मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने का अधिकार नहीं है। लेकिन यथथा गीता में यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ किया गया है कि गीता का गà¥à¤°à¤‚थ à¤à¤¸à¥‡ लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठगठकिसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की रसà¥à¤® नहीं लिखता है। लेकिन गीता बताती है कि हर इंसान को इस तरह की यजà¥à¤ž करने का अधिकार है। गीता ने 4 के अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के 31 में कहा है कि, यजà¥à¤ž के बिना, फिर से मनà¥à¤·à¥à¤¯ की जिंदगी हासिल करना संà¤à¤µ नहीं है, मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ (मोकà¥à¤·) कैसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना संà¤à¤µ है, इस जीवन में सà¤à¥€ दिकà¥à¤•à¤¤à¥‹à¤‚ का मूल कारण है, लेकिन आप के बाद से मानव शरीर के साथ धनà¥à¤¯ हैं, मेरी पूजा करें जिन सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ईशà¥à¤µà¤° की पूजा करने का अधिकार है
8. यह देवताओं के कई पूजा करने के लिठपà¥à¤°à¤¥à¤¾ है योगेशà¥à¤µà¤° कृषà¥à¤£ ने अनà¥à¤¯ देवताओं की पूजा को मूरà¥à¤–तापूरà¥à¤£ मानसिकता या अतृपà¥à¤¤ वासना और लोगों की अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ के रूप में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ किया है। वह कहते हैं कि à¤à¤—वान केवल à¤à¤• ही सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ है और इसके लिठसहारा लेना है। गीता à¤à¤• देवता में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करती है
9. यथथा गीता ने समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ है कि गीता दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सà¤à¥€ लोगों के लिठà¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• संधि है। यह केवल हिंदà¥à¤“ं या संतों से संबंधित नहीं है, बलà¥à¤•à¤¿ हिंदू, मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®, सिख, ईसाई, पारसी, बौदà¥à¤§ या जैन या किसी अनà¥à¤¯ धरà¥à¤® जैसे विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धारà¥à¤®à¤¿à¤• संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में किसी à¤à¥€ अनà¥à¤¯ नाम से मानवों के लिठबहà¥à¤¤ धारà¥à¤®à¤¿à¤• धरà¥à¤® है। । गीता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आदमी à¤à¤• इकाई है। उनका सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ या तो दैवीय है या उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ से बनता है। हर इंसान या तो दिवà¥à¤¯ या शैतानी है वासà¥à¤¤à¤µ में, कोई इंसान की कोई सटीक जाति या संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ नहीं है। गीता की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का पालन करके सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š शांति पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकती है।
10. गीता आपको लà¥à¤à¤¾à¤¨à¤¾ नहीं करती है कि आप सà¥à¤µà¤°à¥à¤— पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं या मौत के बाद नरक के विचारों के साथ आपको डरा सकते हैं। गीता सà¥à¤µà¤°à¥à¤— की खà¥à¤¶à¥€ को à¤à¥à¤•à¤¾à¤¤à¥€ है और अंत में दरà¥à¤¦ और दà¥à¤ƒà¤– के खिलाफ आपको चेतावनी देती है। गीता आपको सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® होने के à¤à¥€à¤¤à¤° अनà¥à¤à¤µ करने, महसूस करने और विसरà¥à¤œà¤¿à¤¤ करने में सकà¥à¤·à¤® बनाता है मौत के बाद à¤à¤¸à¤¾ राजà¥à¤¯ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में नहीं है यह बहà¥à¤¤ जलà¥à¤¦à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ है आपको अपने पूरे विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ खà¥à¤¦ को निहित करना चाहिठऔर आप उसे इस नशà¥à¤µà¤° शरीर में अनà¥à¤à¤µ कर सकते हैं।
11. यथथ गीता को तीन से चार बार ईमानदारी से पढ़ने के बाद, आपको पता चल जाà¤à¤—ा कि, जिस à¤à¤—वान के बारे में आप अà¤à¥€ तक सà¥à¤¨ रहे हैं, वह पहले से ही आपका मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ शà¥à¤°à¥‚ कर चà¥à¤•à¤¾ है। à¤à¤• बार जब आप इस सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ करते हैं, तो आप à¤à¤• ईसाई, à¤à¤• यहूदी, à¤à¤• हिंदू या मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨, जैन या बौदà¥à¤§ होने के बारे में à¤à¥‚ल जाते हैं। आपको à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होगा कि इस विशाल दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में केवल आपके पास मानव रूप है आप देवतà¥à¤µ का सार हैं, वह आपकी छवि है और वह आपका अंतिम गंतवà¥à¤¯ है। और इसे पाने का तरीका, गीता है
12. सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से गीता में उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया गया है कि, देवतà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिà¤, निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ पथ का पालन करना होगा या सटीक करà¥à¤® करना होगा। इसके बिना कोई à¤à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤¯ हासिल करने में सकà¥à¤·à¤® नहीं है और न ही हम इसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में सकà¥à¤·à¤® होंगे। गीता में संपूरà¥à¤£ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ तकनीक को कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ किया गया है। गीता के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ को अनदेखा करने या इसके बारे में नहीं जानना à¤à¤• बड़ी गलती होगी।
13. यथथा गीता यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करती है कि मानव शरीर परिधान की तरह है। जैसा कि à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ कपड़ों को निकालता है और नठपर डालता है, आतà¥à¤®à¤¾ (आतà¥à¤®à¤¾) पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ शरीर को तà¥à¤¯à¤¾à¤— देता है और à¤à¤• नठको अपनाता है। पà¥à¤°à¥à¤· या महिला होने के नाते सिरà¥à¤« परिधान के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आकार होने की तरह है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¥à¤· हैं। सà¤à¥€ का शरीर या रूप है या नर बदल रहा है जब मन सहित सà¤à¥€ इंदà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है तो वह पà¥à¤°à¥à¤· बन जाता है। वह अब नषà¥à¤Ÿ नहीं किया जा सकता। यह पूरà¥à¤£ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ समाजों में महिलाओं का या तो समà¥à¤®à¤¾à¤¨ है या नीचे देखा जाता है। हालांकि यथरà¥à¤¥ गीता में दिखाया गया है, किसी को à¤à¥€ 'मी' (à¤à¤—वान) को अपना समरà¥à¤ªà¤£ 'मोकà¥à¤·' मिलता है, चाहे वह पà¥à¤°à¥à¤· या महिला हो।
14. सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बिंदॠजिस पर यथथा गीता जोर देती है वह है कि गीता को समà¤à¤¨à¥‡ की कà¥à¤‚जी 'योगेशà¥à¤µà¤°' या à¤à¤• पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¥ के माधà¥à¤¯à¤® से है। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ à¤à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नहीं है। जब गीता उन लाखों लोगों के बीच वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की गई थी जिनके कान और आà¤à¤–ें खà¥à¤²à¥€ थीं, लेकिन केवल दो शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं-अरà¥à¤œà¥à¤¨ और संजय थे जो दिवà¥à¤¯ धारणा से आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पाये थे।
यथथा गीता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, जैसे ही आप गीता की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना शà¥à¤°à¥‚ करते हैं, à¤à¤—वान आपको सही गà¥à¤°à¥ के लिठमारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करेंगे। आपको अंदर से निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ किया जाà¤à¤—ा आपके संदेह à¤à¤‚ग हो जाà¤à¤—ा आपको à¤à¥€à¤¤à¤° से जागृत किया जाà¤à¤—ा और धीरे-धीरे देवतà¥à¤µ के मारà¥à¤— पर आगे बढ़ना होगा।
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